इंडसइंड बैंक की ओर से अपने डेरिवेटिव अकाउंटिंग में चूक का खुलासा करने बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ निजी और सरकारी बैंकों के डेरिवेटिव एक्सपोजर की जांच करने का मन बनाया है। रायटर्स ने मामले की जानकारी रखने वाले कम से कम तीन सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने ऋणदाताओं से उनके विदेशी उधार और जमा के साथ-साथ उनके विदेशी मुद्रा हेज पोजीशन का विवरण मांगा है।
आरबीआई जानना चाहता है समस्या और बड़ी तो नहीं: सूत्र
इससे पहले, सोमवार को निजी ऋणदाता इंडसइंड बैंक ने विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित हेजिंग लागतों के कम आंकलन के कारण अपने मार्केट कैप 2.35% की गिरावट जानकारी दी थी।। सूत्रों में से एक ने कहा, “आरबीआई बैंकों के मामले में पुष्टि करना चाहता है कि इंडसइंड का मुद्दा किसी बड़ी समस्या का हिस्सा तो नहीं है।” सूत्रों ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने को कहा है, क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है। रॉयटर्स के अनुसार इस मामले में भेजे गए ईमेल का आरबीआई ने फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है। एक अप्रैल, 2024 से बैंकों के लिए नए निवेश मानदंड लागू होने से पहले, बैंकों के एसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट और ट्रेजरी डेस्क को आंतरिक स्वैप में एंट्री लेने की अनुमति थी, जहां एक नकदी प्रवाह को दूसरे के लिए एक्सचेंज किया जाता है।
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इंडसइंड बैंक के सीईओ ने क्या कहा है?
इंडसइंड बैंक के सीईओ सुमंत कथपालिया ने मंगलवार को कहा कि इस तरह के सौदों की समय से पहले समाप्ति के कारण लाभ की जगह नुकसान की स्थिति बन गई। अब, आरबीआई यह सुनिश्चित करना चाहता है कि भारी विदेशी देनदारियों वाले बैंक ऐसी स्थिति में न आएं, जहां पहले किए गए आंतरिक हेजिंग से होने वाले किसी भी नुकसान का हिसाब न रखा गया हो।
इंडसइंड बैंक के साथ क्या गड़बड़ी हुई?
इंडसइंड बैंक के शेयर मंगलवार को 27.06% गिरकर 656.80 रुपये पर गिरकर बंद हुए। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी बताई जा रही है। जिससे बैंक के कुल मार्केट कैप को 2.35 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा। इससे बैंक पर निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ और लोगों ने घबराकर बैंक के शेयर बेचने शुरू कर दिए। इसी वजह से बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आ गई।
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डेरिवेटिव पोर्टफोलियो है क्या?
दरअसल, डेरिवेटिव एक ऐसा वित्तीय सौदा (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) होता है, जिसकी कीमत किसी और चीज से तय होती है। यह चीजें शेयर, विदेशी मुद्रा (करेंसी), सोना-चांदी (कमोडिटी) या अन्य संपत्तियां हो सकती हैं। जब कोई बैंक या निवेशक इन अलग-अलग चीजों में पैसा लगाता है और इन्हें एक साथ मैनेज करता है, तो उसे “पोर्टफोलियो” कहा जाता है। इंडसइंड बैंक के इसी डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी पाई गई।
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हेजिंग पोजिशन का क्या मतलब है?
जब कोई कंपनी या बैंक विदेश से लेन-देन करता है (जैसे डॉलर में उधार लेना या विदेशी सामान खरीदना), तो उसे मुद्रा के बदलते भाव (एक्सचेंज रेट) से नुकसान हो सकता है। इस नुकसान से बचने के लिए वे हेजिंग करते हैं। हेजिंग का मतलब होता है पहले से सुरक्षा इंतजाम करना, ताकि भविष्य में कोई बड़ा नुकसान न उठाना पड़े।